पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया। इस हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश फैल गया है। सोशल मीडिया पर लोग अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त कर रहे हैं, और इसी बीच भारत के मशहूर शिक्षक खान सर का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाने का एक बेहद अलग और रणनीतिक तरीका बताया है।
वीडियो में खान सर ने कहा, “रहीम चाचा को अरब सागर में मिलवा दीजिए”, जिसका आशय है पाकिस्तान को पानी के लिए तरसा देना। उनका सुझाव है कि भारत को पाकिस्तान जाने वाले सिंधु नदी के जल को रोकने के लिए एक विशाल बांध का निर्माण करना चाहिए। आइए विस्तार से समझते हैं खान सर की इस योजना को, इसके पीछे का तर्क और इसका संभावित असर।
खान सर का प्लान: सिंधु नदी पर बड़ा बांध बनाओ
खान सर का कहना है कि पाकिस्तान बार-बार भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देता है, लेकिन भारत उसे सिंधु नदी के जरिए बड़ी मात्रा में पानी देता रहता है। यह पानी पाकिस्तान की कृषि और पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करता है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को चाहिए कि वह सिंधु नदी पर एक विशाल बांध बनाए और पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को रोक दिया जाए।
सिंधु जल संधि: क्या है यह समझौता?
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इस संधि के तहत छह नदियों — सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास और सतलुज — को दो हिस्सों में बांटा गया।
- भारत को रावी, ब्यास और सतलुज का पूर्ण अधिकार मिला।
- पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब का अधिकांश पानी उपयोग करने का अधिकार दिया गया।
भारत हालांकि अपने अधिकार वाले नदियों पर बांध और सिंचाई परियोजनाएं बना सकता है, लेकिन वह पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को पूरी तरह नहीं रोक सकता।
क्या वाकई में पानी रोक सकते हैं?
तकनीकी रूप से, भारत सिंधु जल संधि की सीमाओं में रहकर पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को नियंत्रित कर सकता है। यदि भारत सिंधु, झेलम या चेनाब पर अधिक बांध बनाए और जल प्रबंधन करे, तो वह पाकिस्तान को मिलने वाले पानी की मात्रा को घटा सकता है — विशेषकर सूखे या संकट के समय।
भारत पहले से ही कुछ बांध जैसे बगलीहार डैम और रतले डैम बना चुका है, जिनका पाकिस्तान ने विरोध भी किया है।
खान सर का संदेश: “आर्थिक और रणनीतिक दबाव डालो”
खान सर ने अपने वीडियो में कहा कि पाकिस्तान को सीधे युद्ध की बजाय आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों के जरिए घेरा जाना चाहिए। उनका कहना था कि अगर पाकिस्तान के पास पानी नहीं होगा, तो उसकी कृषि, उद्योग और जनता पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। इससे वह अंदरूनी रूप से कमजोर होगा और आतंकवाद को समर्थन देना मुश्किल हो जाएगा।
सोशल मीडिया पर मिला भारी समर्थन
खान सर का यह वीडियो कुछ ही घंटों में लाखों बार देखा जा चुका है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लोग उनके इस विचार की सराहना कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यही सही समय है जब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ अपने अधिकारों का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए।
क्या कहती है सरकार?
भारत सरकार ने अभी तक खान सर के बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि सरकार सिंधु जल संधि को लेकर पुनर्विचार की स्थिति में है। 2016 में उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।”
आलोचना और व्यावहारिक चुनौतियाँ
जहां एक तरफ खान सर के विचार को काफी समर्थन मिल रहा है, वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे अव्यावहारिक मानते हैं। उनका कहना है कि सिंधु जल संधि एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, और इसे तोड़ने से भारत की छवि वैश्विक स्तर पर प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, बांध निर्माण में समय, संसाधन और पर्यावरणीय मुद्दे भी जुड़ते हैं।
निष्कर्ष
पाहलगाम हमले ने एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि पाकिस्तान को कैसे सबक सिखाया जाए। खान सर का यह प्रस्ताव भले ही आक्रोश के भाव में आया हो, लेकिन यह एक गंभीर रणनीतिक चर्चा की ओर संकेत करता है। भारत को अब केवल सीमा पर ही नहीं, बल्कि हर मोर्चे पर अपनी ताकत दिखाने की आवश्यकता है — फिर चाहे वह जल नीति हो, व्यापार या कूटनीति।
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