जब तक नदी बहती रहे, तब तक मैं तुझको चाहूँगा,
हर लहर में तेरा नाम है, आंधी में भी तेरा साया।
गुस्से की आग में जलता हूँ, फिर भी तेरा इंतज़ार करूँगा,
दिल के हर कोने में, तेरा चेहरा बसा है, सच्चाई का साया।
हर पल में तू है, फिर भी दूर क्यों है?
गुस्सा है मुझमें, पर तेरे बिना अधूरा ये सफर।
तूने जो तोड़ा भरोसा, वो ज़ख्म है गहरा,
फिर भी जब तक नदी बहती, तुझसे नज़रे चुराऊँगा नहीं।
बोलों की धार में बहती हैं बातें,
हर शोर में तेरी यादें, जैसे तू मुझसे जुदा नहीं।
बंद आँखों में ख्वाब तेरा,
गुस्से की लहरों में भी, तेरा नाम गुनगुनाऊँगा।
जब तक ये धरती घूमती रहे, तब तक तेरा साथ निभाऊँगा,
आग में जलूँगा, पर तेरा नाम लूँगा,
यादों की बुनाई से, तुझको फिर से पाऊँगा।
जब तक नदी बहती रहे, तब तक मैं तुझको चाहूँगा।
Comments